जनजातीय समाज में सांस्कृतिक मूल्यों का प्रकाश फैलाने के लिए हमारे छात्रावासों का निर्माण किया गया है। इनमें रहकर जब छात्र/छात्राएं समाज में आएं, तो पूरा समाज उन मूल्यों से आलोकित हो जाए, जो उन्होंने छात्रावास में सीखे हैं। हमारे छात्रावास जनजातीय बालक-बालिकाओं की शिक्षा एवं संस्कारों के सशक्त केंद्र बन गए हैं।
रुद्रपुर में यह पिछले 25 वर्षों से संचालित किया जा रहा है। इसका प्रारंभ उस समय हुआ जब उत्तर पूर्वांचल की बालिकाओं को शिक्षा के साथ-साथ देशभक्ति और अपने मूल्यों के प्रति प्रेम के भाव को छात्रावास में व्यक्त करने का अवसर मिला। बालिकाओं की शिक्षा और सामाजिक गतिविधियों के साथ-साथ देशभक्ति का भाव भी छात्रों में प्रवाहित किया जाता है, जिसके सकारात्मक परिणाम आज हमें देखने को मिल रहे हैं। इस छात्रावास में वर्तमान में 60 बालिकाएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं।
यह भी रुद्रपुर में संचालित है। यह प्रकल्प कुपोषित गर्भवती माताओं और स्वस्थ बालिकाओं के लिए समर्पित है। यहां रहकर वर्तमान में 140 बालिकाएं शिक्षा और संस्कार ग्रहण कर रही हैं। इन बालिकाओं के पालन-पोषण एवं संपूर्ण व्यय निशुल्क किया जाता है।
सितारगंज से 17 कि.मी. दूर मीरा बारा राणा (निखुडु) में स्थित है, जिसमें पूरे समाज के आर्थिक रूप से कमजोर 50 बालक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। छात्रावास के बालकों को शिक्षा के अतिरिक्त आत्मनिर्भरता, योग शिक्षा और अन्य प्रकार की शिक्षा प्राप्त हो रही है। समय-समय पर छात्रावास में विशेष उद्देश्यों का आयोजन किया जाता है, जिसमें बालकों में अपनी परंपराओं के प्रति सम्मान और लगाव बनाए रखने का प्रयास किया जाता है।
उत्तर पूर्वांचल के बालकों के लिए यह छात्रावास पिछले 27 वर्षों से संचालित है, जिसमें 40 बालक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। अनेक छात्र शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ अपने अच्छे भविष्य की तैयारी कर रहे हैं और अपने प्रदेशों में समाज परिवर्तन की भूमिका निभा रहे हैं।
काशीपुर में सेवा प्रकल्प संस्थान द्वारा संचालित यह छात्रावास जनजातीय समाज के पूर्वज राजा जगतदेव की प्रतिमा के परिसर में 2 वर्षों पूर्व प्रारंभ किया गया। इसमें बालकों की शिक्षा के साथ-साथ शिविर और नैतिक शिक्षा भी प्रदान की जा रही है। राजा जगतदेव की सेवा से प्रेरित होकर, छात्र समाज में लगाव और देशप्रेम की भावना का विकास कर रहे हैं।
उत्तराखंड में सेवा प्रकल्प संस्थान द्वारा जनजातीय समाज की बालिकाओं को शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों की शिक्षा प्रदान करने के लिए यह छात्रावास संचालित किया जा रहा है। यहां की बालिकाओं को स्वच्छ वातावरण, स्वस्थ जीवन के लिए विद्यालयीन शिक्षा प्रदान की जा रही है। यह हमारे लिए गौरव की बात है कि इन बालिकाओं को शिक्षा दी जा रही है, जो अपने देश की सेवा और संस्कृति के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
जनजातीय बालिकाओं को उच्च शिक्षा हेतु समर्पित यह छात्रावास 2017 में प्रारंभ किया गया। इसमें छात्राएं समाज, पारिवारिक, पैत्रिक एवं नैतिक शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। शिक्षा प्रकल्प आगरा के ग्रामीण क्षेत्रों जैसे जानीधानेगढ़, नागलपुरा, झील, बिहार, झारखंड, सिक्किम से बालिकाएं इस शिक्षा का लाभ प्राप्त कर रही हैं।
आदिवासी लड़कियों को समर्पित यह छात्रावास 2023 में प्रारंभ किया गया। इसमें उत्तराखंड, जम्मू एवं पूर्वोत्तर की 15 छात्राएं निवासरत हैं।
भारत विविधताओं का देश है। कला और संस्कृति में विविधता इसकी पहचान है। दुनिया की 25% जनजाति भारतवर्ष में निवास करती है, 750 से अधिक जनजातियों वाला जनजाति समाज जिसकी पहचान इसकी वेशभूषा खान-पान , भाषा आदि की विभिन्नताओं में है जो देश का अभिन्न अंग है।
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