छात्रावास

  • जनजातीय समाज में सांस्कृतिक मूल्यों की रोशनी फैलाने के लिए हमारे छात्रावासों का निर्माण किया गया है। इनमें रहकर छात्र जब समाज में आएं, तो समाज को वे संस्कार दें, जो उन्होंने सीखे हैं, जिससे पूरा समाज आलोकित हो। हमारे छात्रावास जनजातीय बालक-बालिकाओं की शिक्षा और संस्कृति के सशक्त केंद्र बन गए हैं।
  • ये एक प्रकार के शक्ति उत्पादन केंद्र हैं, जिनके माध्यम से पूरे समाज में देशभक्ति की धारा प्रवाहित हो सकती है। साथ ही चित्रकला, संगीत, नृत्य, बंधन आदि कलाएं, जो सुप्त अवस्था में हैं, उनका विकास छात्रावासों में शिक्षा के साथ-साथ किया जाता है। संस्थान द्वारा ऐसे 7 छात्रावास सेवा प्रकल्प चलाए जा रहे हैं, जिनमें 4 लड़कियों के और 3 लड़कों के हैं।
  • छात्रों की कुल संख्या: 450 (300 बालिकाएं और 150 बालक)
  • स्थान: रुद्रपुर, आगरा, महाराजपुर, सितारगंज, मुनस्यारी एवं काशीपुर

जनजातीय समाज में सांस्कृतिक मूल्यों का प्रकाश फैलाने के लिए हमारे छात्रावासों का निर्माण किया गया है। इनमें रहकर जब छात्र/छात्राएं समाज में आएं, तो पूरा समाज उन मूल्यों से आलोकित हो जाए, जो उन्होंने छात्रावास में सीखे हैं। हमारे छात्रावास जनजातीय बालक-बालिकाओं की शिक्षा एवं संस्कारों के सशक्त केंद्र बन गए हैं।

  • ये एक प्रकार के विद्युत उत्पादन केंद्र हैं, जिनके द्वारा पूरे समाज में देशभक्ति की धारा प्रवाहित हो सके और बच्चे, चित्रकला, संगीत, नृत्य, खेल आदि सुप्त प्रतिभाओं को उजागर करते हुए शिक्षा और संस्कारों का दीप जलाते रहें। 7 छात्रावास सेवा प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें 4 लड़कियों के और 3 लड़कों के हैं।
  • इसमें 209 बालिकाएं और 92 बालक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जनजातीय समाज के बालक-बालिकाएं अपने घर की तरह ही इनमें रहते हैं और आत्मानुशासित जीवन जीते हैं। साथ ही समाज में सम्मिलित होने के समय की सहायता के लिए समय सारणी का विशेष ध्यान रखा जाता है।

वनवासी कन्या छात्रावास –

रुद्रपुर में यह पिछले 25 वर्षों से संचालित किया जा रहा है। इसका प्रारंभ उस समय हुआ जब उत्तर पूर्वांचल की बालिकाओं को शिक्षा के साथ-साथ देशभक्ति और अपने मूल्यों के प्रति प्रेम के भाव को छात्रावास में व्यक्त करने का अवसर मिला। बालिकाओं की शिक्षा और सामाजिक गतिविधियों के साथ-साथ देशभक्ति का भाव भी छात्रों में प्रवाहित किया जाता है, जिसके सकारात्मक परिणाम आज हमें देखने को मिल रहे हैं। इस छात्रावास में वर्तमान में 60 बालिकाएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं।

दधिया बाबा कन्या छात्रावास –

यह भी रुद्रपुर में संचालित है। यह प्रकल्प कुपोषित गर्भवती माताओं और स्वस्थ बालिकाओं के लिए समर्पित है। यहां रहकर वर्तमान में 140 बालिकाएं शिक्षा और संस्कार ग्रहण कर रही हैं। इन बालिकाओं के पालन-पोषण एवं संपूर्ण व्यय निशुल्क किया जाता है।

बाबा राणा स्मारक छात्रावास

सितारगंज से 17 कि.मी. दूर मीरा बारा राणा (निखुडु) में स्थित है, जिसमें पूरे समाज के आर्थिक रूप से कमजोर 50 बालक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। छात्रावास के बालकों को शिक्षा के अतिरिक्त आत्मनिर्भरता, योग शिक्षा और अन्य प्रकार की शिक्षा प्राप्त हो रही है। समय-समय पर छात्रावास में विशेष उद्देश्यों का आयोजन किया जाता है, जिसमें बालकों में अपनी परंपराओं के प्रति सम्मान और लगाव बनाए रखने का प्रयास किया जाता है।

कल्याण आश्रम बालक छात्रावास

उत्तर पूर्वांचल के बालकों के लिए यह छात्रावास पिछले 27 वर्षों से संचालित है, जिसमें 40 बालक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। अनेक छात्र शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ अपने अच्छे भविष्य की तैयारी कर रहे हैं और अपने प्रदेशों में समाज परिवर्तन की भूमिका निभा रहे हैं।

राजा जगतदेव छात्रावास – काशीपुर

काशीपुर में सेवा प्रकल्प संस्थान द्वारा संचालित यह छात्रावास जनजातीय समाज के पूर्वज राजा जगतदेव की प्रतिमा के परिसर में 2 वर्षों पूर्व प्रारंभ किया गया। इसमें बालकों की शिक्षा के साथ-साथ शिविर और नैतिक शिक्षा भी प्रदान की जा रही है। राजा जगतदेव की सेवा से प्रेरित होकर, छात्र समाज में लगाव और देशप्रेम की भावना का विकास कर रहे हैं।

वनवासी कन्या छात्रावास मुनस्यारी – जिला पिथोरागढ़ –

उत्तराखंड में सेवा प्रकल्प संस्थान द्वारा जनजातीय समाज की बालिकाओं को शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों की शिक्षा प्रदान करने के लिए यह छात्रावास संचालित किया जा रहा है। यहां की बालिकाओं को स्वच्छ वातावरण, स्वस्थ जीवन के लिए विद्यालयीन शिक्षा प्रदान की जा रही है। यह हमारे लिए गौरव की बात है कि इन बालिकाओं को शिक्षा दी जा रही है, जो अपने देश की सेवा और संस्कृति के प्रति प्रतिबद्ध हैं।

नवीन मंघरानी वनवासी कन्या छात्रावास – आगरा

जनजातीय बालिकाओं को उच्च शिक्षा हेतु समर्पित यह छात्रावास 2017 में प्रारंभ किया गया। इसमें छात्राएं समाज, पारिवारिक, पैत्रिक एवं नैतिक शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। शिक्षा प्रकल्प आगरा के ग्रामीण क्षेत्रों जैसे जानीधानेगढ़, नागलपुरा, झील, बिहार, झारखंड, सिक्किम से बालिकाएं इस शिक्षा का लाभ प्राप्त कर रही हैं।

  • श्रीमती राज फस्सैय्या वनवासी कन्या छात्रावास आगरा (उ.प्र.)
    • आदिवासी लड़कियों को समर्पित यह छात्रावास 2023 में प्रारंभ किया गया। इसमें उत्तराखंड, जम्मू एवं पूर्वोत्तर की 15 छात्राएं निवासरत हैं।

श्रीमती राज फस्सैय्या वनवासी कन्या छात्रावास आगरा (उ.प्र.)

आदिवासी लड़कियों को समर्पित यह छात्रावास 2023 में प्रारंभ किया गया। इसमें उत्तराखंड, जम्मू एवं पूर्वोत्तर की 15 छात्राएं निवासरत हैं।

भारत विविधताओं का देश है। कला और संस्कृति में विविधता इसकी पहचान है। दुनिया की 25% जनजाति भारतवर्ष में निवास करती है, 750 से अधिक जनजातियों वाला जनजाति समाज जिसकी पहचान इसकी वेशभूषा खान-पान , भाषा आदि की विभिन्नताओं में है जो देश का अभिन्न अंग है।

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